स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ये शादी-ब्याह ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब राजस्थान में रोज 3 हजार से ज्यादा मामले मिल रहे हैं. इससे संक्रमण बढ़ने की आशंका है. राजस्थान में कोराना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी जयपुर में 25 से 30 नवंबर के बीच रिकॉर्ड 4 हजार शादियां हो रही हैं.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ये शादी-ब्याह ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब राजस्थान में रोज 3 हजार से ज्यादा मामले मिल रहे हैं. इससे संक्रमण बढ़ने की आशंका है.
राजस्थान में कोराना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी जयपुर में 25 से 30 नवंबर के बीच रिकॉर्ड 4 हजार शादियां हो रही हैं. इससे संक्रमण रोकने के लिए हर जतन कर रहे स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है. राजस्थान में रोज 3 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. जयपुर को छोड़कर राज्य के अन्य इलाकों में भी इस एक हफ्ते में बड़े पैमानों पर शादी-ब्याह का आयोजन है. इनमें से तमाम शादियां कोरोना के शुरुआती दौर में लॉकडाउन के दौरान टाल दी गई थीं.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ये शादी-ब्याह ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब राजस्थान में रोज 3 हजार से ज्यादा मामले मिल रहे हैं. इससे संक्रमण बढ़ने की आशंका है.राज्य सरकार ने शादियों में अधिकतम 100 मेहमानों की सीमा तय कर रखी है.जयपुर में 25, 27 औऱ 30 नवंबर को शुभ मुहूर्त पर करीब 4 हजार वैवाविक आयोजन संपन्न होने हैं. लोगों का कहना है कि ये तिथियां शादी-ब्याह के हिसाब से बेहद शुभ हैं. हालांकि कोरोना को लेकर बंदिशों के कारण विवाह समारोह से जुड़े कारोबार पर भी असर पड़ा है
राजस्थान में पिछले चार दिनों में कोरोना के केस 1.34% की दर से बढ़ रहे हैं. राजस्थान में सक्रिय मरीजों की संख्या भी 26 हजार के पार कर गई है. जयपुर में औसतन रोज 600 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. राजधानी जयपुर में बढ़ते मामलों के बीच रात्रि कर्फ्यू समेत कई कदमों का ऐलान किया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने शादियों में राज्य में 100 मेहमानों की सीमा तय कर दी है. सैनेटाइजर और मास्क को भी अनिवार्य बनाया गया है.
शादी कर नया जीवन शुरू करने जा रही एक लड़की निहारिका सिंह का कहना है कि शादी-ब्याह में सभी मेहमानों को न बुला पाने औऱ बंदिशों के कारण अच्छा नहीं लग रहा है. लेकिन यह कोरोना से सुरक्षा के लिए आवश्यक भी है. उनकी मां ऊषा ने कहा कि हम यहां शादियों में भारी हुजूम देखते थे, लेकिन अब 100 से भी कम मेहमान दिखाई पड़ रहे हैं. उनका कहना है कि मेहमानों की संख्या कम होने के बावजूद खर्च कम नहीं हो रहा, क्योंकि कैटरर्स औऱ गेस्टहाउस मालिकों ने अब न्यूनतम शुल्क तय कर दिया है.
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