NEET और JEE प्रवेश परीक्षाओं को लेकर देशभर में विवाद चल रहा है. परीक्षा को लेकर दो गुट बंट चुके हैं. एक वर्ग परीक्षा कराए जाने पर सहमति जता रहा है, तो दूसरा हिस्सा परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहा है. विपक्षी दल परीक्षा टालने की मांग को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर
NEET और JEE प्रवेश परीक्षाओं को लेकर देशभर में विवाद चल रहा है. परीक्षा को लेकर दो गुट बंट चुके हैं. एक वर्ग परीक्षा कराए जाने पर सहमति जता रहा है, तो दूसरा हिस्सा परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहा है. विपक्षी दल परीक्षा टालने की मांग को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. अब इस कड़ी में विपक्षी दलों द्वारा शासित 6 राज्य सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं. उन्होंने अदालत से अपील की है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट NEET मेडिकल एंट्रेस एग्जाम और IIT में दाखिले के लिए JEE की परीक्षा पर रोक लगाने से इंकार कर चुका है. फैसले पर पुनर्विचार के लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. हर राज्य से एक मंत्री इस मामले की पैरवी कर रहा है.
अपील में कहा गया है कि NEET और JEE के छात्रों की सुरक्षा को सुरक्षित कराना और छात्रों के ‘जीने के अधिकार’ को बचाना जरूरी है. परीक्षाएं कराने में तमाम लॉजिस्टिकल कठिनाइयों को ध्यान में नहीं रखा गया है. परीक्षाओं को कराने और छात्रों की सुरक्षा के बीच संतुलन नहीं बनाया गया है. परीक्षाओं में छात्रों की सुरक्षा के लिए जरूरी बचाव के उपाय नहीं किए गए हैं.
आगे कहा गया है कि यह परीक्षाएं ऐसे समय पर कराई जा रही हैं, जब देश में कोरोना से 60000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. अप्रैल में परीक्षाएं टाल दी गईं थीं, तब कोरोना के काफी कम मामले थे लेकिन अप्रैल से अगस्त तक कोरोना के मामले 33 लाख से ज्यादा हो गए हैं. यह परीक्षाएं कराई गईं तो छात्रों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़ होगा. साथ ही समाज का एक बड़ा तबका कोरोना के खतरे में आ सकता है. बता दें कि NEET की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की गई है. वहीं JEE की परीक्षा का आयोजन 1 से 6 सितंबर के बीच किया गया है.
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