प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरुवार, 16 सितंबर) नई दिल्ली में रक्षा विभाग के नए दफ्तर का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75वें वर्ष में आज हम देश की राजधानी को नए भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित करने की तरफ एक और कदम बढ़ा रहे हैं. रक्षा विभाग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरुवार, 16 सितंबर) नई दिल्ली में रक्षा विभाग के नए दफ्तर का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75वें वर्ष में आज हम देश की राजधानी को नए भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित करने की तरफ एक और कदम बढ़ा रहे हैं. रक्षा विभाग के ये नए दफ्तर दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यू में हैं.
उन्होंने कहा, “ये नया डिफेंस ऑफिस कॉम्लेक्स हमारी सेनाओं के कामकाज को अधिक सुविधाजनक, अधिक प्रभावी बनाने के प्रयासों को और सशक्त करने वाला है.” प्रधानमंत्री ने बताया कि नया भवन नई तकनीक से लैस है और आग और भूकंप जैसी आपदाओं से सुरक्षित है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजधानी में आधुनिक डिफेंस एऩ्क्लेव के निर्माण की तरफ यह एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा, “अब केजी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यु में बने ये आधुनिक ऑफिस, राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े हर काम को प्रभावी रूप से चलाने में बहुत मदद करेंगे.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स का भी जो काम 24 महीने में पूरा होना था, वह सिर्फ 12 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया. वो भी तब, जब कोरोना से बनी परिस्थितियों में लेबर से लेकर तमाम दूसरी चुनौतियां सामने थीं. पीएम ने कहा कि कोरोना काल में सैकड़ों श्रमिकों को इस project में रोजगार मिला है.
पीएम ने कहा, “जब हम राजधानी की बात करते हैं तो वो सिर्फ एक शहर नहीं होता. किसी भी देश की राजधानी उस देश की सोच, संकल्प, सामर्थ्य और संस्कृति का प्रतीक होती है. भारत तो लोकतंत्र की जननी है. इसलिए भारत की राजधानी ऐसी होनी चाहिए, जिसके केंद्र में लोक हो, जनता हो.”
उन्होंने कहा, “आज जब हम Ease of living और Ease of doing business पर फोकस कर रहे हैं, तो इसमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भी उतनी ही बड़ी भूमिका है.” पीएम ने इस दौरान बताया कि 2014 में आने के बाद सबसे पहले इंडिया गेट पर वार मेमोरियल क्यों बनवाया. उन्होंने कहा कि देश की आन, बान, शान के प्रतीक स्थल को अपनी योजनाओं में सबसे ऊपर रखा ताकि देश पर अपनी जान न्योछावर करने वाले वीर सपूतों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके.
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